रक्षाबंधन: भारतीय संस्कृति में इसका महत्व और इतिहास!

रक्षाबंधन भारतीय त्योहारों में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के प्यार और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। रक्षाबंधन का अर्थ होता है ‘रक्षा का बंधन’। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर एक पवित्र धागा बांधती हैं, जिसे ‘राखी’ कहते हैं। यह धागा एक प्रकार का सुरक्षा कवच माना जाता है, जिससे मान्यता है कि यह भाई को हर प्रकार के खतरों से बचाता है।

रक्षाबंधन का इतिहास में उल्लेख

रक्षाबंधन का इतिहास बहुत ही प्राचीन है और इसके बारे में कई पुरानी कथाएँ और लोककथाएँ हैं। सबसे प्राचीन उल्लेख भारतीय पुराणों में मिलते हैं, जिसमें इसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में वर्णन किया गया है।

एक प्रसिद्ध कथा महाभारत में मिलती है, जिसमें द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की चोट को बंधने के लिए अपनी साड़ी का एक टुकड़ा काटा। इसने भगवान कृष्ण को प्रेरित किया और उन्होंने द्रौपदी को अपनी बहन के रूप में स्वीकार किया।
राजपूताना के इतिहास में भी इस त्योहार के महत्व के कई उदाहरण हैं। यहाँ तक की मुघल साम्राज्य के समय में भी, राजपूत रानियाँ मुघल सम्राटों को राखी भेजती थीं, उम्मीद करती थीं कि यह उनके लिए संरक्षण का प्रतीक होगा।
इस प्रकार, रक्षाबंधन का इतिहास भारतीय संस्कृति के विभिन्न हिस्सों में गहराई से निहित है और इसके महत्व के कई उदाहरण प्राचीन इतिहास में मिलते हैं।

रानी कर्णावती और हुमायूं की कहानी:

रानी कर्णावती, मेवाड़ के महाराणा प्रताप की बहन, ने बाहदुर शाह, गुजरात के सुलतान के हमले के समय मुघल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी। इसे भेजने का उद्देश्य था कि हुमायूं उसके भाई के रूप में उसकी रक्षा करें। हुमायूं ने राखी को स्वीकार करते हुए उसके संदेश का पालन किया और रानी कर्णावती की सहायता के लिए अपनी सेना को भेजा। हालांकि, हुमायूं देर से पहुंचा और चित्तौड़गढ़ पहले ही बाहदुर शाह द्वारा कब्जा कर लिया गया था, लेकिन उसने अपना वायदा निभाया और बाहदुर शाह से लड़ाई की।

आध्यात्मिक कारण

रक्षाबंधन के मनाने का आध्यात्मिक कारण भी है। यह माना जाता है कि जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तो वह उसके लिए भगवान से प्रार्थना करती है कि वह उसके भाई की सुरक्षा करे और उसे हर बुराई से बचाए। इसके बदले में, भाई अपनी बहन की सुरक्षा का वादा करता है।

रक्षाबंधन : भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न परंपराएं और रिवाज

रक्षाबंधन के इस महत्वपूर्ण त्योहार को मनाने के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न परंपराएं और रिवाज हैं। हालांकि, इसका मुख्य उद्देश्य सभी स्थानों पर समान है, और वह है – भाई और बहन के बीच स्नेह और प्यार को मनाना। इस दिन, भाई और बहन एक दूसरे के लिए प्रेम और सम्मान की भावना व्यक्त करते हैं।

रक्षाबंधन का त्योहार सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त महीने में आता है। इसे मनाने की विधि भी काफी साधारण है। सबसे पहले, पूजा की जाती है, फिर भाई और बहन एक दूसरे के माथे

पर तिलक लगाते हैं, फिर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और अंत में, भाई अपनी बहन को कुछ उपहार देता है।

आजकल, यह त्योहार भारतीय उपमहाद्वीप में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। भारतीय समुदायों के लोग जो विभिन्न देशों में बसे हैं, वे भी इसे बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। यह त्योहार न केवल भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि यह भारतीय समाज की सामाजिक संरचना को भी मजबूती प्रदान करता है।

सारंश

रक्षाबंधन, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें भाई-बहन के बीच के स्नेह और प्यार को मनाया जाता है। इसका इतिहास और आध्यात्मिकता भारतीय सामाज में इसके महत्व को और भी बढ़ा देते हैं। यह त्योहार भारत के हर कोने में मनाया जाता है और भारतीयों के लिए यह एक विशेष अवसर है जिसपर वे अपने बंधन को मजबूती देते हैं। आजकल, यह त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है और भारतीय सामाज को एकजुट करने में मदद करता है।

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